कुछ हालातों से खेली हुई पहेली सी हूँ मै,
अपने ही जज्बातों को दिल में दबाये बढ़ चली हूँ मै.
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मेरी गुमनाम सी सोच से नासमझ हैं लोग,
उन्हें कुछ समझाने निकल पड़ी हूँ मै.
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मै नहीं जानती मेरा अस्तित्व क्या है
पर दिल में एक उम्मीद लिए बढ़ चली हूँ मै.
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दुनिया के इन तमाम रंगों से अन्जान हूँ मै
पर अपने ही रंग में दुनिया को रंगने चली हूँ मैं.
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नफरत तो मेरी फिदरत ही नहीं
दिल में प्यार और लोगों में भेदभाव मिटाने चली हूँ मैं.
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कुछ हालातों से खेली हुई पहेली हूँ मैं
पर फिर भी ये समझ लो की
अपने ही रंग में दुनिया को रंगने चली हूँ मैं.
—
लोगों के मासूम सवालों से अंजान हूँ मैं
फिर भी उनके हर एक सवाल का जवाब बनने चली हूँ मैं,
गुमशुदा नफरत की दुनिया में प्यार का रंग भरने चली हूँ मैं.
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लोगों के फैसलों पर यकीं तो नहीं
पर अपने हौसलों में उड़ान भरने चली हूँ मैं.
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भेदभाव और नफरत दोनों ही लोगों की ज़िन्दगी के हिस्से है
पर फिर भी नफरत और भेदभाव का भ्रम मिटाने चली हूँ मैं.
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कुछ इस तरह अपने हौसलों में उड़ान भरने चली हूँ मैं.
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