तेरी याद में खोना बाकी है
तेरी नींद में सोना बाकी है
कुछ पल और ठहर ये इस्क
अभी टूट कर रोना बाकी है
क्यों लौट चले हम घर को अभी
अभी शाम का होना बाकी है
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कुछ दर्द वक़्त ने दबा दिए
कुछ दिल टूटने बाकी हैं
क्यों लौट चले हम घर को
अभी शाम का होना बाकी है
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पंछी की हर साज पर
तेरा खिलखिलाना बाकी है
कुछ कदम प्यार की राह पर
तेरा साथ निभाना बाकी है
क्यों लौट चले हम घर को
अभी शाम का होना बाकी है
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तेरे हर एहसास पर
ऐतबार जाताना बाकी है
तेरी हर शरारत पर
अभी प्यार दिखाना बाकी है
क्यों लौट चले हम घर को
अभी शाम का होना बाकी है
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प्यार भरी इन आँखों में
अभी नींद का जाना बाकी है
सारे जग को छोर कर
तेरा लौट आना बाकी है
क्यों लौट चले हम घर को
अभी शाम का होना बाकी है
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उसके हसीं लम्हों का
कुछ कर्ज चुकाना बाकी है
कुछ साथ में किये वादों का
अभी फ़र्ज़ निभाना बाकी है
क्यों लौट चले हम घर को
अभी शाम का होना बाकी है
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एक प्यारी सी मुस्कान से
अभी दिल का चुराना बाकी है
दर्द भरी उन रातों का
हिसाब पुराना बाकी है
क्यों लौट चले हम घर को
2 टिप्पणियाँ
Kaha se copy kiya
जवाब देंहटाएंhumara content always original hota h. apko ye poem aur kahi ni milegi aur agar mile to please hume btaye kyunki usme yaha se copied hoga.
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