ईरा ऐना और उनके पड़ोसी मालती दीदी की कहानी |
एक शहर में ऐना और उसका परिवार रहता था ऐना करीब सोलह साल की थी ,और उसकी सबसे खाश दोस्त का नाम ईरा था ऐना और ईरा कॉलेज जाते समय बहुत मस्ती करती थी ,और दूसरों को परेशान भी बहुत करती थी और चिढाया करती थी ऐना समझदार और सुलझी हुयी लड़की थी लेकिन ईरा नंबर एक की स्वार्थी लड़की थी उसे किसी के दुःख से कोई मतलब नहीं होता था वो हमेशा मस्ती करने में लगी रहती थी ,और ऐना कॉलेज में भी हमेशा टॉप करती थी और ईरा बहुत ही कम नंबर लाती थी ,
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''लेकिन एक बात है ईरा ऐना से कभी जलती नहीं थी दोनों में बहुत अच्छी बनती थी !"
ऐना की पडोसी मालती दीदी थी वो जब भी समय मिलता मालती दीदी के पास चली जाती थी मालती दीदी को चिड़ियाँ पालने का बहुत सौख था ,मालती दीदी के कोई परिवार नहीं था एक बड़ी सी हवेली में वो अकेले रहती थी ,उनका सारा परिवार एक घटना में मर गया था ......तबसे लेकर अभी तक मालती दीदी बहुत गुमशुम रहने लगी थी न किसी से ज्यादा बात करना और किसी के यंहा आना जाना उनका रहता था वो सारा दिन अपना काम करती और फिर समय मिलने पर उन पछ्हियों के साथ बिताती थी
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उनसे कोई शादी भी नहीं कर रहा था और न ही कोई उनसे मलतब रखता था ! वो ढीले-ढाले कपडे पहनती थी अजीब सी बनी रहती थी ऐना को उनपर तरस आता था तो उसने ईरा के साथ मिलकर प्लान बनाया की चलो हमलोग मालती दीदी को चिट्ठी लिखते हैं तो ईरा मान गयी क्युकी उसे मालती दीदी के दुःख से मतलब नहीं था वो सिर्फ मस्ती करने के लिए ये सब कर रही थी फॉर ऐना ने मालती दी को चिट्ठी लिखी और ईरा न किसी दिल्ली के लड़के का गलत एड्रेस दाल के स्वेत नाम से पोस्ट कर दी अब चिट्ठी मालती दी के पास पहुचती है तो मालती दीदी बहुत खुश हो जाती हैं .
''क्युकी अभी तक वो सिर्फ अपने बारे में सपना ही देख रही थी हकीकत में उनके साथ कभी ऐसा कुछ हुआ नहीं था इसीलिए वो उस प्यार भरे ख़त को पढ़ कर चौक गयी थी और फिर जल्दी जल्दी ऐना ने मालती दी को ख़त लिखना शुरू का दिया और ईरा उसी स्वेट नाम से उस चिट्ठी को भेजती रही अब मालती दीदी सपनो की दुनिया में खोयी रहती थी कैसा होगा हमारा स्वेत एक दिन इन लोगों ने तो गजब ही कर दिया मजाक- मजाक
में मालती दीदी को दिल्ली बुलाने वाला उसी नाम से उसी एड्रेस की चिट्ठी भेज दी अब मालती दीदी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था .
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मानो वो आसमान में उड़ रही हों उन्होंने ने अपनी पूरी हवेली ही बेच दी और दिल्ली जाने की तैयारी करने लगीं क्युकी उसमे लिखा था की वो उससे शादी करना चाहता है और बहुत प्यार करता है और हमेशा के लिए बुला रहा है एक दो दिन के लिए नहीं और फिर ऐना मालती दीदी के घर जाती है तो देखती है मालती दीदी सच में जाने की तैयारी में लगी होती हैं ये सब देखकर वो घबरा जाती है और अपने घर भाग जाती है .....दूसरे दिन वो कॉलेज से भागती हुयी आती है और मालती दीदी के घर जाती है,तब तक मालती दी बैग भी निकल लेती हैं जाने के लिए और एक चिड़िया को हाथ में पकड़ कर बोलती हैं इतने दिन तुम्हे बहुत कैद करके रक्खा है मैंने और अब आज़ाद करती हूँ क्युकी अब मै आज़ाद होने वाली हूँ उन्होंने हँसते हुए कहा और चिड़िया को उड़ा दिया .
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इधर ऐना घबरायी हुयी बोलती है मालती दीदी दिल्ली मत जाओ तो मालती दी बोलती हैं क्यों न जाऊं तो बोलती है जिसके पास आप जा रही हैं उसे कभी देखी हैं कभी मिली हैं तो मालती दी खामोश रहकर अपना काम करती रही क्युकी अब उन्हें किसी से कोई मतलब नहीं था
अब उनकी एक आखिरी वही आशा रह गयी थी ऐना फिर से बोलती है मालती दीदी प्लीज मत जाओ दिल्ली के लोग अछे नहीं होते हैं वंहा पता नहीं कब क्या हो जाये कुछ खबर नहीं रहती प्लीज मत जाओ !
अब उनकी एक आखिरी वही आशा रह गयी थी ऐना फिर से बोलती है मालती दीदी प्लीज मत जाओ दिल्ली के लोग अछे नहीं होते हैं वंहा पता नहीं कब क्या हो जाये कुछ खबर नहीं रहती प्लीज मत जाओ !
''लेकिन मालती दीदी उसकी एक न सुनी और वो रोते हुए ईरा के घर गयी और बोली ईरा मालती दीदी जा रही हैं तो ईरा झूले में बैठ कर मैगजीन पढ़ रही होती है वो हस्ते हुए बोलती है तो क्या हुआ ?....जाने दो क्या फर्क पड़ता है वो ईरा को पकड़ कर हिलाते हुए बोलती है तुझे खबर भी है तूने क्या किया है ?....उनकी पूरी जिंदगी बेकार कर दी हम लोगों ने और तुम बोलती हो की क्या हुआ अब वो कंहा जाएँगी ईरा कहती है इसमे तू भी दोषी है क्युकी तूने भी ख़त लिखे थे .
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अब ऐना रोती हुयी अपने घर को जाती है और अपने रूम में जाकर लेट जाती हैं ड्रेस भी नहीं बदलती है और जोर -जोर से रोने लगती हैं पूरी रात सोचती रहती है मालती दी के बारे में और जमीन में ही लेट जाती है सुबह जब उसकी माँ आती है तब देखती है उसको बहुत जोरों का बुखार है तो उठाकर बिस्तर पर लिटती है और उसके पापा को बुलाती है कहती है देखो मेरी बच्ची बुखार से भून रही है ,उसके पापा झट से बैध की को बुला लेकर आते हैं वो ऐना को कुछ दवाइयां दे देते हैं और उसे आराम करने को बोलते है जब वो सुबह उठती है तब तक मालती दी जा चुकी होती हैं वो खिड़की के पास से झाकती है और जोरो से रोने लगती है .
तब तक उसकी माँ उसके कमरे में आ जाती है और पूछती है क्या हुआ क्यों रो रही हो बेटा? तब वो रोते हुए बताने ही वाली होती है की पापा भी आ जातें हैं लेकिन दोनों को बता देती है बोलती है माँ -पापा मैंने बहुत बड़ी गलती की है जब पूछते हैं तो पूरी बाट बताती हैं उसके मम्मी पापा नाराज़ हो जाते हैं और उसे बोअडिंग स्कूल भेजने का फैसला ले लेते हैं और ईरा से दूर रहने को बोलते हैं तब ऐना बोलती है मम्मी -पापा मै ईरा से दूर रहूंगी लेकिन आप मुझे अपने पास रहने दो मै आप लोगो के बैगैर कैसे रहूंगी लेकिन मानते नहीं है तो उसे दिल्ली के बोअडिंग स्कूल में भेज देते हैं
ईरा दौड़ती हुयी आती है की प्लीज मत जाओ लेकिन ऐना ईरा की तरह देखती भी नहीं है और चली जाती है वंहा जाकर वो मालती दीदी के गुमशुदा होने के पोस्टरलगती फिरती है पूरी दिल्ली में मालती दीदी को गए हुए छेह साल हो गये लेकिन ऐना अभी भी पश्चाताप कर रही थी और फिर ऐना को एक लड़के से प्यार हूँ जाता है तब वो और मालती दीदी की फीलिंग्स को समझ पाती हैं और ओ लड़का ऐना से शादी करने को बोलता है ऐना बोलती हैं मम्मी -पापा से बात करनी पड़ेगी उसके लिए हमे घर जाना पड़ेगा शिमला तो लड़का बोलता है तो जाओ न! लेकिन वो बोलती है तुम तो जानते हो मै शिमला वापस जाना नहीं चाहती .
लेकिन लड़का बोलता है बात करने के लिए तो जाना ही पड़ेगा लेकिन मै तुम्हे जबरदस्ती नहीं कर रहा जब तुम्हारी मर्जी हो चली जाना तब तक उसके मम्मी पापा का भी फ़ोन आ जाता है इतने समय से बुला रहे थे और आज फिर उसे घर आने को बोला तो ऐना मान जाती है और घर जाती है और बोलती है मम्मी कुछ जरुरी बात करनी है हमें वो राहुल को तो आप जानती ही हैं उसी को लेकर और फिर अपने कपरे में चली जाती है तब तक ईरा आ जाती है उससे मिलने के लिए तो वो अपने मम्मी से बोलती है इसीलिए मै नहीं आ रही थी हमे उससे नहीं मिलना कोई बात नहीं करनी प्लीज उसे जाने के लिए बोल दो कुछ भी बता दो मै बीमार हूँ , सो रही हूँ कोई बहाना बना दो लेकिन मुझे उससे मिलना नहीं है!
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ईरा को कमरे में भेजते हुए बोलती हैं लो खुद ही बोल दो तब वो गुस्से से मुह फेर लेती है ईरा उससे बहुत बार सॉरी बोलती है लेकिन वो बोलती है हमे तुम्हारी कोई परवाह नहीं है जो भी हो ईरा अब काफी सुधर गयी थी उसने मालती दी का पता लगा लिया था उसने बोला मालती दी मिल गयी हैं हमे पता मिल गया है लेकिन वो सोचती है झूठ बोल रही बोलती है मिल गया है तो मालती दी के पास गयी क्यों नहीं ? तब वो बोलती है मै तुम्हारे साथ जाना चाहती थी इसीलिए नहीं गयी बोलती है अच्छा अब ये अच्छा बहाना बनाया फिर ऐना अपनी मम्मी से बोलती है मै दिल्ली वापस जा रही हूँ कल ईरा बोलती है मै भी जाउंगी वो बोलती है कंहा तो बोलती है दिल्ली तुम्हारे साथ ऐना मना करती है लेकिन मम्मी पापा के कहने पर मान जाती है .
और फिर वंहा वो दोनों मालती दीदी को ढूढना शुरू कर देती हैं उसी एड्रेस पैर फिर बीच में क्लब दिखता है तो तो ईरा उसके राहुल से बोलती है मुझे क्लब ले चलोगे मैंने आज तक कभी नहीं देखा तब वो बोलता हां -हाँ बिलकुल ले चलूँगा और तीनो क्लब जाते है ईरा ऐना से डांस के लिए बोलती है तो दोनों मना कर देते है तो तबतक एक लड़का उसे डांस के लिए बुलाता है और वो चली जाती है उसके साथ डांस करने लगती है ऐना को बहुत गुस्सा आता है और उसे पकद कर ले आती है और बोलती है हमे पता है तुम यंहा ,मालती दीदी को ढूढने नहीं मस्ती करने आई हो क्युकी तुम स्वार्थी लड़की हो तब वो रोते हुए बोलती हैं तुम्हे पता ही क्या है मेरे बारे में इतने दिनो में मेरे साथ क्या हुआ तुम्हे कुछ भी खबर नहीं है.
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उससे कोई लड़का बहुत प्यार करता होता है और वो भी उसे अचानक एक दुर्घटना में उसकी मौत हो जाती है तभी से ईरा एकदम सुधर जाती हैं और उसको याद कर -करके रोया करती थी अब ऐना को और ज्यादा पछतावा होता है और वो राहुल से बोलती जितना मै सोचती हूँ मै जिन्दगी को जानने लगी हूँ जिंदगी हमे एक नया मोड़ दे देती है वो बोलता है इसी का नाम ही तो जिंदगी है
अब वो उसको सॉरी बोलती है और गले से लगा लेती है दुसरे दिन ईरा घर आने वाली होती है की मालती दीदी का फ़ोन ऐना के पास आ जाता है और बोलती है तुम कों हो मेरे पोस्टर क्यों ल्ह्गाये हुए हैं दिल्ली भर में तुम्हे क्या चाहिए तो वो बोलती हैं आप मालती दीदी बोल रही हैं तो बोलती है हाँ तब वो मिलने को बोलती हैं मालती दीदी उसे पास के पार्क में बुलाती हैं और वो लोग वंहा जाती हैं
ढूंढते हुए फिर मालती दीदी को देखती हैं तो कुछ देर के लिए पहचान ही नहीं पाती है इतनी सुंदर लगने लगती है और फिर उनका एक बेटा भी आ जाता है माँ- माँ कहते हुए मालती दीदी की पूरी जिंदगी ही बदल गयी थी फिर वो लोग ये सब देखती ही रह गयी उनका पति भी आया और मालती दीदी से बोलकर गया जल्दी आ जाना हमलोग तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं मालती दीदी का बोलने का ढंग और हर एक चीज़ बदल चूका था मालती दीदी पूछी क्यों पोस्टर लगाये थे
बोली कुछ नहीं ऐसे ही देखने का मन हुआ तो इसीलिए फिर मालती दीदी ने उन लोगो को अपनी पूरी कहानी सुनाई की दिल्ली आने के बाद जिस एड्रेस पर गयी वंहा तो कोई नहीं मिला लेकिन यंहा आने पर उन्हें बहुत आदर सम्मान मिल रहा था ये उनके लिए बहुत था एक दिन स्वेत नाम का लड़का उन्हें मिल ही गया जिससे वो शादी कर चुकी थी और बोली जिसने भी ये पत्र लिखे थे मिल जाये दो उनका दिल से धन्यवाद कर दूँ .
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और एक बेटा भी गोद ले चुकी थी सबसे मिलकर ऐना और ईरा को बहुत ख़ुशी मिली और वो दोनों मालती दीदी के गले लग गयी और फिर मालती दीदी बोली नंबर तो है ही कोई समस्या हुयी तो बताना अब मै चलती हूँ हमारी फैमिली हमारा इंतजार कर रही है वो चली जाती हैं और इधर ईरा और ऐना बहुत खुश होती हैनौर गले लग कर पहले जैसी फ्रेंड बन जाती हैं उधर वो राहुल से शादी के लिए भी हाँ बोल देती हैं .
तो दोस्तों ये थी ऐना और ईरा की कहानी आपको जीवन में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए .