एक मुलाकात में वो हमारा हुआ
वो भी बहके से थे
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हम भी ठहरे से थे
धड़कने थी बेखबर
हम भी गुम से गये
हमको थी न खबर
उनको क्या हो गया
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देख दीवानगी उनकी मै शर्मा गयी
जैसे आँचल में कोई परी छुप गयी
लब पे थी जो दुआ वो ख़ुशी मिल गयी
मैंने माना मेरी जिंदगी मिल गयी
वक़्त था गुज़र रहा हम थे ठहरे वही
राहे भटकी सी थी
आँख में थी नमी
जिसको माना था मैंने मेरी जिन्दगी
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धीरे -धीरे वो बन रहा था मेरी बन्दगी
चल दुआवों से तुझको नवाजूंगी मै
तेरी हर एक ख़ुशी के लिए हारूंगी मै
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हार कर भी अगर तुझमे जिन्दा रही
तू न समझना की मै दूर हो गयी
जब लगे जिन्दगी में तुमको मेरी कमी
लौट आना मै तुमको मिलूंगी वही खड़ी
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किस -किस से कहूँ मै अपने दर्दों सितम
तुम मिले थे मगर शायरी रह गयी
मेरी जिन्दगी मेरी डायरी बन गयी
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जिसमे लिखती हूँ मै अपने दर्दों सितम
पास आते जो तुम तो कह देते हम
रुक जाओ यही अब न जाओ कंही
जिंदगी बेदर्द है ,दर्द ही दर्द है
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रुक जाओ यही अब न सह पाएंगे हम
साथ दो अगर तो बनूँगी लहर
वर्ना हम तो बिखरे से हैं
बह जायेंगे कंही