शाम हो जाये (कविता ) |
समुन्दर के सफ़र में तेरा साथ मिल जाये ,
और इन कश्तियों में शाम हो जाये ,
कुछ पल तो रहने दे तेरे यादों के सहारे
क्या पता कब जिंदगी की शाम हो जाये |
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मेरी आँखों में देखते ही तुझे प्यार हो जाये
ऐसे ही जिंदगी के कई सफ़र निकल जाये
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आ कुछ पल बैठ पास मेरे,
पता नहीं कब जिंदगी की
आखिरी मुलाकात हो जाये
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कभी कोई सिकायत हो तो हमसे कहना
कभी तन्हाई सताये तो हमसे कहना
अभी तो हम जिंदा है जनाब,
आओ दो,चार जाम हो जाये |
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चल दोस्ती के नाम दुआ हो जाये ,
दिल के पुरे अरमान हो जाये ,
जब तक हैं हस कर बोल लो
क्या पता कब जुदा हो जाये |
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कुछ शैतानियाँ करे जिससे शैतान हो जाये ,
चल दोस्ती के नाम पर बदनाम हो जाये,
आ कुछ पल जी भर के जी ले साथ में
पता नहीं कब मेहमान हो जाये|
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जिंदगी के हर पहलू में तू कामयाब हो जाये ;
उचाईयों पर तेरा नाम हो जाये ,
जिस महफ़िल में तू रक्खे कदम
उस महफ़िल की तुझमे शाम हो जाये |